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शनिवार, 22 अक्टूबर 2022

कलाम 11

 हम तेरे क़रम के भरोसे मस्त रहते हैं

जो नहीं मानते तुझे वो पस्त रहते हैं


 ईसा करे #दवा तो कतार है बीमारों की

#दीदार से दीवाने तेरे तन्दरूस्त रहते हैं


रिंदों की फ़िक्र रहती है #वाइज़ को बहुत

पीने वाले #ज़ाम पीकर भी चुस्त रहते हैं


कूचा-ए-यार में फिरते हैं सुब्ह-ओ-शाम

दीदार-ए-यार में प्यासे हर वक़्त रहते हैं


क्या #इनाम हो क्या #अंजाम सोचते नहीं

दौरे-इन्तेहान में #मुरीद तेरे सख्त रहते हैं


राज़ क्या #ख़ुदा ने छुपा रखा है #इश्क़ में

दर-ए-यार पे हाज़िर दीवाने #मस्त रहते हैं

~पवन राज सिंह


शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2022

कलाम 10

 जलने लगी शमआ जब दिल के #चराग़ में

आ गए परवाने खुद-ब-खुद आस पास में


उम्रें गुज़र गईं मगर बिछड़े न मिल सके 

दीवाने भटक रहे हैं #यार की #तलाश में


दीवानों के #दीवान को समझ लेंगे दीवाने

#आलिम ये कहेगा क्या है उसके #कलाम में


हैरान है #ज़माना क्यों परेशान है ये सुलतान

क्या रँग दिख गया है #ख़ुसरो को #निज़ाम में


नहीं कोई कमाल मेरे अंदाज़-ए-सुख़न में 

लिखता हूँ अंदाज़-ए-फ़कीराना #कलाम में


#राज़ तुम पर ये #अयाँ हो जाये तो हो गज़ब

#साक़ी ने क्या हमको पिलाया है #शराब में

~पवन राज सिंह

कलाम 9

 कौल-ओ-करार के कच्चे हैं पर #इश्क़ हमारा सच्चा है

दुनिया में सबसे #खराब हैं पर #यार हमारा अच्छा है


इख़्तियार में सब है उसके चाहे प्यार करे चाहे ठुकरा दे

दर-ए-यार पे अब दम निकले इरादा हमारा पक्का है


हम वो #बिस्मिल #आशिक़ है जो जीते जि फ़ना होयेंगे

उस #कातिल हसीन के कदमों तले सर हमारा रक्खा है


यार का नाम है #जिक्र अपना इश्क़ #इबादत है अपनी

मदीना है #गली यार की और दर-ए-यार हमारा #मक्का है 


करने को जो काम आये हैं करके रहेंगे पूरा उसे 

शमआ पे फ़िदा हो #परवाना इतना सा हमारा किस्सा है


इश्क़-ए-हक़ीक़ी राज़ है वो जो सीना-ब-सीना चलता है

जिस राह से होकर #वली गुज़रे बस वही हमारा रस्ता है

~पवन राज सिंह

कलाम 8

 कोन है जो इश्क़ में सब निसार करे

राहे-इश्क़ में जो खुद को कुरबान करे


आशिक़ कहेंगे उसको इस जहाँ में लोग

कूचा-ए-यार में जो ख़ुदको बदनाम करे


भटक न जाए कहीं ये मामला दिल का

यार का वो है जो यार पर एतबार करे


काबिल वही है इस जहान-ए-ख़राब में

ख़ुद से पहले जो गैरों का ख़याल करे


सबको सताता है ख़याल रोजे-हश्र का

क्या जवाब देंगे जब ख़ुदा सवाल करे


राज़ अब फैसले की घड़ी का जान लो

ईमाँ वो दलील है जो खुद इंसाफ करे

~पवन राज सिंह



कलाम 7

 परवाना शमआ का हूँ इश्क़ में दीवाना

आता हूँ बिन बुलाये आशिक़ हूँ पुराना


होती नहीं महफ़िल में चरागों से रौशनी

आता हूँ जमीं पर मैं बनकर के सितारा


कबसे उदास है यूँ साक़ी तेरा मयखाना

आता हूँ मयकदे में लिए अंदाजे-रिंदाना


इश्क़ तो इश्क़ है ये हो जाये किसे भी

आता हूँ मैं तो क्यों परेशान है जमाना


दरख्तों की छाँव में रह लेने दो राही को

आता हूँ सुकून-ए-क़ल्ब को मैं बेचारा


राज़ खुल जाएंगे मेरे गुज़र जाने के बाद

आता हूँ मैं करने को आबाद ये वीराना

~पवन राज सिंह

कलाम 6

 ज़ुदा ख़ुद से करके अपना हमें बनाया है

जल्वा यार ने दीवानों को दिखलाया है


है निहाँ भी और जल्वा-नुमा भी है वही

दिखाई जो नहीं देता और नज़र आया है


दो घूंट यहीं चख ली जाये तो है बेहतर 

शैख साहब ने चुपके से ये फ़रमाया है 


हो रहा है शोर उधर और मयखाना इधर

साक़ी तेरे रिंदों ने ठिकाना कहाँ बनाया है


इल्म किताबों में जो नहीं ये वही तो है

सबक शम्स तबरेज़ ने ये सिखलाया है


कदमों में है सर और उठता नहीं दर से

आते आते मेरी निस्बत में ये रँग आया है


राज़-ए-इश्क़ कह दें ग़र दीवाने ये तुमसे

क्यों शमआ पर परवानों का यूँ साया है

~पवन राज सिंह


मुरीद से बात

 याद आती है तुझे मेरी तो 

मेरी यादों से बात किया कर

वजूद जब न हो सामने तो

अक़्स से बात कर लिया कर


मुलाक़ात न हो पाये न सही

रूह से हिसाब कर लिया कर

ग़र मेरी आवाज न आये तो

बात दिल की सुन लिया कर 


दीवानों का दिल का रिश्ता है

ज़ाम इश्क़ का पि लिया कर

इक रोज बन जाएगी तेरी भी

यार को सलाम कर लिया कर


क्यों तड़पता है मजनू की तरह

थोडा इन्तजार कर लिया कर

हिज्र के अपने मजे हैं दीवाने

ये ज़श्न है इसे मना लिया कर


क्यों नहीं समझता तू ये बात

दूर से ही प्यार कर लिया कर

मैं राज़-ए-इश्क़ हूँ यार जॉनी

दिल में मुझे छिपा लिया कर

~पवन राज सिंह


कलाम 19

 दर्द-ए-इश्क़ दिल को दुखाता है बहुत विसाल-ए-यार अब याद आता है बहुत ज़ब्त से काम ले अ' रिंद-ए-खराब अब मयखाने में दौर-ए-ज़ाम आता है बहुत साक़ी...