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शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2022

मुरीद से बात

 याद आती है तुझे मेरी तो 

मेरी यादों से बात किया कर

वजूद जब न हो सामने तो

अक़्स से बात कर लिया कर


मुलाक़ात न हो पाये न सही

रूह से हिसाब कर लिया कर

ग़र मेरी आवाज न आये तो

बात दिल की सुन लिया कर 


दीवानों का दिल का रिश्ता है

ज़ाम इश्क़ का पि लिया कर

इक रोज बन जाएगी तेरी भी

यार को सलाम कर लिया कर


क्यों तड़पता है मजनू की तरह

थोडा इन्तजार कर लिया कर

हिज्र के अपने मजे हैं दीवाने

ये ज़श्न है इसे मना लिया कर


क्यों नहीं समझता तू ये बात

दूर से ही प्यार कर लिया कर

मैं राज़-ए-इश्क़ हूँ यार जॉनी

दिल में मुझे छिपा लिया कर

~पवन राज सिंह


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