जलने लगी शमआ जब दिल के #चराग़ में
आ गए परवाने खुद-ब-खुद आस पास में
उम्रें गुज़र गईं मगर बिछड़े न मिल सके
दीवाने भटक रहे हैं #यार की #तलाश में
दीवानों के #दीवान को समझ लेंगे दीवाने
#आलिम ये कहेगा क्या है उसके #कलाम में
हैरान है #ज़माना क्यों परेशान है ये सुलतान
क्या रँग दिख गया है #ख़ुसरो को #निज़ाम में
नहीं कोई कमाल मेरे अंदाज़-ए-सुख़न में
लिखता हूँ अंदाज़-ए-फ़कीराना #कलाम में
#राज़ तुम पर ये #अयाँ हो जाये तो हो गज़ब
#साक़ी ने क्या हमको पिलाया है #शराब में
~पवन राज सिंह
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