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गुरुवार, 4 फ़रवरी 2021

मनुष्य ही बजट बनाता है

 आजकल बजट का समय चल रहा है इन दिनों सब और वही बातें हो रही हैं, क्या आप जानते हैं परमेश्वर ने जगत को बनाने से पहले कोई बजट बनाया होगा आईये इस पर कुछ तथ्यों को जानें ; मानव के अलावा भी जितने जीव जन्तु हैं उनके जन्म से मरण तक परमेश्वर ने खाने पीने का इंतजाम किया किसी का पानी में किसी का जमीं पर किसी काआकाश पर, किस को कहाँ पर क्या चाहिए कोन इस सेवा को करेगा सब कुछ ऑटोमैटिक प्रकृति का एक चलन कायम हो गया। सब कुछ स्वतः होता चला गया और हो रहा है और होगा। कुछ जीवों के लिए पेड़ की छाया कुछ के बर्फ में निवास कुछ के लिए रेतीला रेगिस्तान। सभी जीवों के लिए पहाड़ पानी धुप जमीं आकाश सूरज चाँद पेड़ पोधे का निर्माण किया और अनन्त काल तक के लिए कर दिया

किसी ने कभी कोई शिकायत नहीं की सिवाय मनुष्य के । केवल मनुष्य ही ने कहा मैं कमा कर खाता हूँ बाकी सब जीवों ने परमेश्वर से कहा हम तेरा दिया हुआ खाते हैं तू भूखा जगाता जरूर है मगर सुलाता नहीं। मनुष्य को परमेश्वर ने ज्ञान दिया उसके उपरान्त भी उसके ज्ञान को समय काल अवधि के अनुसार अपडेट करता रहा जैसे परमेश्वर ने पहाड़ों में खजाने छुपाये और वो रहस्य मनुष्य को बताया। खारे और मीठे पानी का अंतर बताया जिससे की वह अपना पोषण कर सके । जमीं में तरह तरह के बीजों से अलग अलग अन्न उगाना सिखाया और उसके बाद उससे कई खाने के पकवान बनाने का ज्ञान सिखाया। मानवता पर उस परमेश्वर के इतने उपकार किए हैं पर फिर भी मानव के अंहकार ने उसे स्वयं के लिए बजट बनाने पर मजबुर कर दिया। पर जो आदिवासी मानव आज भी धरती पर जहाँ जहाँ हैं वे प्रकृति से ही अपना गुजारा कर रहे हैं उन्हें कोई दुख कोई तकलीफ नहीं है। उसकी (परमेश्वर) बजट प्लानिंग बहुत अद्भुत है, उसको बहुत बहुत धन्यवाद है....~पवन राज सिंह

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