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शनिवार, 22 अक्टूबर 2022

कलाम 11

 हम तेरे क़रम के भरोसे मस्त रहते हैं

जो नहीं मानते तुझे वो पस्त रहते हैं


 ईसा करे #दवा तो कतार है बीमारों की

#दीदार से दीवाने तेरे तन्दरूस्त रहते हैं


रिंदों की फ़िक्र रहती है #वाइज़ को बहुत

पीने वाले #ज़ाम पीकर भी चुस्त रहते हैं


कूचा-ए-यार में फिरते हैं सुब्ह-ओ-शाम

दीदार-ए-यार में प्यासे हर वक़्त रहते हैं


क्या #इनाम हो क्या #अंजाम सोचते नहीं

दौरे-इन्तेहान में #मुरीद तेरे सख्त रहते हैं


राज़ क्या #ख़ुदा ने छुपा रखा है #इश्क़ में

दर-ए-यार पे हाज़िर दीवाने #मस्त रहते हैं

~पवन राज सिंह


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