हम तेरे क़रम के भरोसे मस्त रहते हैं
जो नहीं मानते तुझे वो पस्त रहते हैं
ईसा करे #दवा तो कतार है बीमारों की
#दीदार से दीवाने तेरे तन्दरूस्त रहते हैं
रिंदों की फ़िक्र रहती है #वाइज़ को बहुत
पीने वाले #ज़ाम पीकर भी चुस्त रहते हैं
कूचा-ए-यार में फिरते हैं सुब्ह-ओ-शाम
दीदार-ए-यार में प्यासे हर वक़्त रहते हैं
क्या #इनाम हो क्या #अंजाम सोचते नहीं
दौरे-इन्तेहान में #मुरीद तेरे सख्त रहते हैं
राज़ क्या #ख़ुदा ने छुपा रखा है #इश्क़ में
दर-ए-यार पे हाज़िर दीवाने #मस्त रहते हैं
~पवन राज सिंह