कोन है जो इश्क़ में सब निसार करे
राहे-इश्क़ में जो खुद को कुरबान करे
आशिक़ कहेंगे उसको इस जहाँ में लोग
कूचा-ए-यार में जो ख़ुदको बदनाम करे
भटक न जाए कहीं ये मामला दिल का
यार का वो है जो यार पर एतबार करे
काबिल वही है इस जहान-ए-ख़राब में
ख़ुद से पहले जो गैरों का ख़याल करे
सबको सताता है ख़याल रोजे-हश्र का
क्या जवाब देंगे जब ख़ुदा सवाल करे
राज़ अब फैसले की घड़ी का जान लो
ईमाँ वो दलील है जो खुद इंसाफ करे
~पवन राज सिंह