हुस्न पर आये शबाब जरूरी है
आशिक़ ना हो खराब जरूरी है
तेरी याद रुला न दे इस दिल को
इश्क़ में इक मुलाक़ात जरूरी है
हिज़्र की आंधी से परेशां हैं हम
इन आँखों को आराम जरूरी है
आज वो तस्सवुर में मिल जायें
नींद से कह दो ख़्वाब जरूरी है
पीने वाले रोज हो जाते हैं रुस्वा
तेरे मयखाने में शराब जरूरी है
आशिक की उधारी है माशूक पर
इश्क़ में बराबर हिसाब जरूरी है
तेरी जफ़ा से कत्ल हुआ है इश्क़
मेरी वफाओं का इंसाफ जरूरी है
राज़ पूछता हूँ मैं तुम्हारे दिल का
सवालों का देना जवाब जरूरी है
~पवन राज सिंह
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