उम्र भर का कमाया हुआ नाम
जो तेरा साथ देकर खो चूका हूँ मैं
तलाश में है ये जमाना जिसकी
वो मकाम हासिल कर चूका हूँ मैं
अब कहीं किनारा न कर ले वो
जिसकी खातिर याँ आ चूका हूँ मैं
है उदास रहगुज़र भी तेरे बिन
जिस पर अकेला चल चूका हूँ मैं
कर रहा हूँ फ़रियाद तेरी खातिर
सज़्दे ख़ुदा के आगे कर चूका हूँ मैं
राज़ मेरे न कहना सारे जहाँ से
जो तुमसे अकेले में कह चूका हूँ मैं
~पवन राज सिंह
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें