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सोमवार, 18 जनवरी 2021

आत्म-मिलन यानी साक्षात्कार

 कई कहानियों कई किरदारों कई रूप रँग में परमात्मा हमें अपनी कलाओं से अपनी और आकर्षित भी करता है, प्रेरित भी करता है, कभी रोगी की कथा कभी दरिद्र की कथा कभी किसी राजमहल की कहानी में वो है। हर और वही है तुम भी वही हो मैं भी वही हूँ। जब तक ये साँसों का कारोबार चालू है, हमें अपने आत्म-मिलन के साक्षत्कार के लिए प्रयासरत रहना चाहिए, जहाँ ये साक्षात्कार का पल गुजरा उसी स्थान को कुरुक्षेत्र के मध्य दो सेनाओं से घिरे हुए स्वयं को पाओगे और जो तुम्हें तुम्हारे सामने प्रवचन दे रहा होगा वही परमात्मा है। ये वही जगह है जहाँ जीसस प्रवचन देते हैं अपने अनुयायिओं को ये वही तूर का पहाड़ है जहाँ मूसा को परमात्मा ने अपनी ज्योति भर दिखाई और उससे बात की ये वही जगह जिसे गार-ए-हीरा कहते हैं जहाँ जिब्रील ने मुहम्मद साहब को ज्ञान सिखाया। स्वप्न्न से समाधि की यह यात्रा तुम्हारे ध्यान से शुरू होती है, इसमें नाद को सुनना बाद की बात है पहले खर्राटों से काम चलाना होता है, मिलन ही तो जरूरी है हम जो दो समझ रहे हैं यथार्थ में एक ही है बस आभास की कमी है। उसका मिलन ही जागृति है यह क्षण ज्ञान के चक्षुओं को खोल देता है। किसी भी कहानी को प्रेरणा का केंद्र मानते हुए उस किरदार की नकल ही करते रहो तुम्हारा कल्याण जल्द ही होगा~पवन राज सिंह

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