बहुभाषाविद् अमीर खुसरो ने फ़ारसी, अरबी, तुर्की व हिंदी में अनेक रचनाएं तैयार की। फारसी साहित्य में इन्हें आदर-मान की दृष्टि से देखा जाता है।
मिर्जा गालिब खुसरो को मान देते हुए कहते हैं :
"गालिब मेरे कलाम में क्योंकर न मज़ा हो।
पीता हूं धो के खुसरुए शीरीं सुखन के पांव॥"
खुसरो ने कई लाख कलाम कहे। उनकी साहित्यिक प्रतिभा व उदात्त कल्पनाशक्ति अतुलनीय है।
खसरो के समकालीन इतिहासकार बरनी ने भी कहा है कि खुसरो की सभी रचनाएं रखने के लिए एक पुस्तकालय की आवश्यकता होगी।
" फ़िरदौसी, सादी, अनवरी , अर्फी, नज़ीरी आदि अक़लीमे सुखन के बादशाह हैं, किंतु उनकी सीमा एक अकलाम से आगे नहीं बढ़ती।
फिरदौसी मसनवी से आगे नहीं बढ़ सकता, सादी क़सीदे को हाथ नहीं लगा सकते। अनवरी मसनवी व ग़ज़ल को नहीं छू सकता। हाफिज़, उफ़्फी, नजीरी गज़ल के दायरे से बाहर नहीं निकल सकते, परंतु अमीर खुसरो की
साहित्यिक सत्ता में ग़ज़ल, रुबाई, क़सीदा व मसनवीं सब कुछ दाख़िल है व काव्यकला की छोटी-मोटी विधाएं अर्थात् तज़मीन, मुस्तज़ाद सनाय व हादाय की तो गिनती ही नहीं है।
शोधकर्ताओं ने भारत, तुर्की, मिस्र का यूरोप के पुस्तकालयों से खुसरो की
निम्नलिखित रचनाएं खोज निकाली हैं।
1. तुहफ तुस्सिग्र
2. वस्तुल हयात
3. गुर्रतल कमाल
4. बक़ीय नक़ीय
5. निहायतुल कमाल
6. किरानुस्सादैन
7. मुफ़ताहुल फुतूह
8. ख़िज़र ख़ां व देवल रानी
9. नूह सिपहर
10. तुगलक़नामा
11.मतला-उल-अनवार
12. शीरीं व खुसरो
13. मजनू लैला
14. हश्ते-बिहिश्त
15. आइन-ए-सिकंदरी
16. मजमूआ असन वयात
17. मजमूआ रुबाइयत
18. कुल्लियात
19. कसीदा अमीर खुसरो
20. मुश्तमिल वर दास्तां शाहनामा
21. एजाज़े खुसरवी
22. इंशा-ए-खुसरवी
23. रफ्फ़ाइनुल फतूह
24. निसावे बदीउल अजायब व निसाबे मसल्लस
25. अफ-ज़लुल फ़वाइद
26. बाज़नामा
27. क़िस्सा चहार दरवेश
28. मर्रातुस्स फ़ा
29. शहर आशोब
30. ताजुल फ़तह
31. तारीखे दिल्ली
32. मानकिबे हिंद
33. हालात कन्हैया व कृष्न
34. मक्तूबाते अमीर खुसरो
35. जवाहरूल बहर
36. मकाला तारीखुल खुलफ़ा
37. राहतुल मुहिबदीन
33. रिसाला अब्यात बहस
39. शगूफे बयान
40. तराना हिंदी
41. अस्पनामा
42. मसनवी शिकायतनामा मोमिनपुर
43. मनाजाते खुसरो
44. मसनवी शिकायतनामा मोमिनपुर पटियाली
45. वाहरल अवर
(अमीर खुसरो व उनका हिंदी साहित्य
भालानाथ तिवारी से साभार)
Part ....1
Compiled By :Pawan Raj Singh
Courtesy:अमीर ख़ुसरो व् उनकी शायरी
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