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मंगलवार, 18 अक्टूबर 2022

कलाम 2

 हमें चाहकर हमीं को भूलकर बैठे हैं

बड़े सयाने हैं हमीं से रूठकर बैठे हैं


अपने वादे जो अब निभा नहीं सकते

मुहब्बत में वो हमें आज़मा कर बैठे हैं


इश्क़ हुआ नहीं जिनको जमीं से कभी

बनके चाँद तारे जो आसमाँ पर बैठे हैं


हालातों से लड़ना आता नहीं फिर भी

मशवरे की दूकानें वो लगा कर बैठे हैं


आशिक़ दीवाने इश्क़ में क़ैस की तरह

कूचा-ए-यार में रब की रज़ा पर बैठे हैं


राज़ क्या रखेंगे अपने सीने में छुपाकर 

कैसे नादाँ हैं महफ़िल सज़ा कर बैठे हैं

~पवन राज सिंह

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सोमवार, 17 अक्टूबर 2022

कलाम 1

 किस तरह हो बसर रात हिज्र की

किसे नसीब होती है राह ख़िज़्र की


उगते नहीं चमन में गुल महकने वाले

बाज़ार से ले आओ खुशबु इत्र की


दिखाई नहीं दे रहा अब वो फ़क़ीर

रखता है जो हाथ में तस्बी जिक्र की


आते ही जिसके घर में खुशियाँ आयें

बाप दवा है बच्चों के हर फ़िक्र की


राज़ ज़ुलेख़ा के दिल का कोन जाने

दास्ताँ ये कहती है युसूफ-ए-मिस्र की

~पवन राज सिंह

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मंगलवार, 27 अप्रैल 2021

विषाक्त रस के इर्द गिर्द इंसान

 लेखन फिर से प्रारम्भ है....

सर्प जिस तरह छोटी सी जगह में अपने आपको समेट लेता है उसी प्रकार मन के किसी कोने में पाप की शक्ति अपने दांतों में विषाक्त रस को लिए बैठी रहती है, मनुष्य जीवन भर इस रस के केंद्र के इर्द गिर्द चक्कर लगाता है, अपने कर्मों को इसी की प्राप्ति में लगाता है और फिर एक दिन इसका शिकार हो जाता है। समझना होगा इस गूढ़ रहस्य को, हमें उस रस के स्वाद में नहीं आना है हमें कोई रिक्तता खोजनी होगी मन के अंदर जहाँ यह  विषाक्त रस न पहुँचे, वहीं पर इसके विषदन्तों का प्राण होगा और वहीं हमारी आत्म शक्ति भी होगी, चयन हमारे हाथों में है? किसी तिलिस्म में घिरना है या आत्म ज्ञान से जीवन रूपी पहेली को हल करना है..~पवन राज सिंह


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गुरुवार, 4 फ़रवरी 2021

मनुष्य ही बजट बनाता है

 आजकल बजट का समय चल रहा है इन दिनों सब और वही बातें हो रही हैं, क्या आप जानते हैं परमेश्वर ने जगत को बनाने से पहले कोई बजट बनाया होगा आईये इस पर कुछ तथ्यों को जानें ; मानव के अलावा भी जितने जीव जन्तु हैं उनके जन्म से मरण तक परमेश्वर ने खाने पीने का इंतजाम किया किसी का पानी में किसी का जमीं पर किसी काआकाश पर, किस को कहाँ पर क्या चाहिए कोन इस सेवा को करेगा सब कुछ ऑटोमैटिक प्रकृति का एक चलन कायम हो गया। सब कुछ स्वतः होता चला गया और हो रहा है और होगा। कुछ जीवों के लिए पेड़ की छाया कुछ के बर्फ में निवास कुछ के लिए रेतीला रेगिस्तान। सभी जीवों के लिए पहाड़ पानी धुप जमीं आकाश सूरज चाँद पेड़ पोधे का निर्माण किया और अनन्त काल तक के लिए कर दिया

किसी ने कभी कोई शिकायत नहीं की सिवाय मनुष्य के । केवल मनुष्य ही ने कहा मैं कमा कर खाता हूँ बाकी सब जीवों ने परमेश्वर से कहा हम तेरा दिया हुआ खाते हैं तू भूखा जगाता जरूर है मगर सुलाता नहीं। मनुष्य को परमेश्वर ने ज्ञान दिया उसके उपरान्त भी उसके ज्ञान को समय काल अवधि के अनुसार अपडेट करता रहा जैसे परमेश्वर ने पहाड़ों में खजाने छुपाये और वो रहस्य मनुष्य को बताया। खारे और मीठे पानी का अंतर बताया जिससे की वह अपना पोषण कर सके । जमीं में तरह तरह के बीजों से अलग अलग अन्न उगाना सिखाया और उसके बाद उससे कई खाने के पकवान बनाने का ज्ञान सिखाया। मानवता पर उस परमेश्वर के इतने उपकार किए हैं पर फिर भी मानव के अंहकार ने उसे स्वयं के लिए बजट बनाने पर मजबुर कर दिया। पर जो आदिवासी मानव आज भी धरती पर जहाँ जहाँ हैं वे प्रकृति से ही अपना गुजारा कर रहे हैं उन्हें कोई दुख कोई तकलीफ नहीं है। उसकी (परमेश्वर) बजट प्लानिंग बहुत अद्भुत है, उसको बहुत बहुत धन्यवाद है....~पवन राज सिंह

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मंगलवार, 2 फ़रवरी 2021

खोखली बातें न सुनो उसकी

 तुम्हारे अंदर जो खोखले ख़याल हैं जिनका न सर है न पैर जिनकी वजह से जिन्दगी का बहुत सा समय यूँ ही बीत रहा है। आपको उन खोखले ख़यालों से खुद को दूर करना होगा। जिस तरह टूटी हुई बाल्टी से कुँए से पानी नहीं निकल पाता, मन के उस छेद को बन्द करना होगा जो इस तरह के ख्यालों से तुम्हें बहलाता रहता है। किसी चमकते हुए सितारे की तरह पहले मन को रिक्त करो फिर देखो सूरज की रौशनी स्वतः तुम्हारे अंतर्मन को चमका देगी और आप आसपास के जीवन पर बहुत अच्छा असर छोड़ पाओगे। आपकी कही हुई हर बात तर्क संगत होगी। भौतिकता ने घेर रखा है आपके जीवन के हर पल को, हर एक पल तो इस मन की चिकित्सा नहीं कर पाओगे हर पल इसकी इच्छाओं को न ही पूरा कर पाओगे। इस मन के जाने कितने दरवाजे हैं कितनी खिड़कियां हैं किस किस को बन्द कर पाओगे, आज ये खड्डा भरोगे कल वो, आज औलाद का दुःख कल अपना दुःख परसों रिश्तों का दुःख। औलाद को ज्यादा सुख मिलते ही वह बागी हो जाएगी फिर एक नया दुःख फिर सोचोगे पहले की स्थिति इस स्थिति से अच्छी थी, चलो ऐसा नहीं होगा की वह बागी न होगी वह भटक तो सकती है उसे कोई व्यसन लग जाएगा उसका भी तो अपना मन है उसे ले जाएगा वह नशे की अंधेर नगरी में जहां से कोई होश में नहीं आता फिर कोई अपराध हो सकता है उससे। अब स्थिति पहले से बेहतर है पर जिस औलाद का सुख देखना चाहते थे वह तो खुद दुःख का कारण है। ज्यूँ चलाए मन त्यों त्यों चलते चले जा रहे हो। जाने क्या विचार आएँगे और उनके अनुसार किए कर्म व्यर्थ जाएंगे। अब इन विचारों को कैसे बन्द किया जाए इसके लिए मौन को धारण करो और देखो धीरे धीरे मन भी शांत होगा, ~पवन राज सिंह


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सोमवार, 1 फ़रवरी 2021

भावना और धारणा स्वयं सिद्ध हैं

 भावना और धारणा दो ऐसी चीजें हैं जिनसे आप कुछ भी प्राप्त कर सकते हो, ब्रह्माण्ड में ऐसा कुछ नहीं जो तुम्हारे पास नहीं होगा। उस आकाशवाणी को सिद्ध करने वाला ही कंस था उसकी भावना ऐसी थी की वह देवकी के आठवें पुत्र से मिलेगा ही मिलेगा। किसी शिष्य ने जो गुरु के निर्देश थे उन्हें धारण कर लिया वह एक दिन ऋषि बाल्मीकि की तरह परम् सिद्ध बना । आप ईर्ष्या करेंगे तो सब ईर्ष्या करेंगे आपकी भावना की प्रकृति आपके व्यक्तित्व का परिचय होगा। आपके अंदर कुटिलता होगी तो कोई आपसे व्यापार नहीं करेगा, क्योंकि किसी ठग के बताये गुर अपनाकर किसी साधुजन व्यापारी को आपने ठगा है तो आपका व्यापार बन्द है। आप प्रेम करेंगे तो प्रकृति आप पर पुष्प वर्षा करेगी सभी आपके प्रेमी होंगे । यह आपको सिद्ध करना है की आपकी भावना का घेरा कितना मजबूत है की साड़ी श्रुष्टी आपके इशारों पर दौड़ रही है। स्टोव में जब जब तक हवा नहीं भरती तेल नीचे ही तले में रहता है वह स्वयं ऊर्जा है पर उसे ज्वलन्तता के मुख तक लाने के लिए पम्प से हवा भरनी होती है, आप किसी भी इच्छा को मनाने के लिए उपाय करते हैं जैसे किसी बच्चे को इसलिए अच्छे नम्बर नहीं लाने होते की इससे मेरा कैरियर बढ़िया बनेगा वह अच्छे नम्बर इसलिए भी लाता है की अच्छे नम्बर लाने पर मुझे मोटरसाइकिल दिलाएंगे पापा। वहां उसने कर्म को धारण कर लिया और उसकी भावना यही है की उसे मोटरसाइकिल चाहिए जो उसके दोस्तों के पास एक वर्ष पूर्व ही आ गई है। वह अपनी ताकत झोंक देता है उसका पूरा फोकस है वहां पर.....करके देखिए ऐसा कुछ अद्भुत परिणाम प्राप्त होंगे आपको ~पवन राज राज सिंह


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कलाम 19

 दर्द-ए-इश्क़ दिल को दुखाता है बहुत विसाल-ए-यार अब याद आता है बहुत ज़ब्त से काम ले अ' रिंद-ए-खराब अब मयखाने में दौर-ए-ज़ाम आता है बहुत साक़ी...