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मंगलवार, 2 फ़रवरी 2021

खोखली बातें न सुनो उसकी

 तुम्हारे अंदर जो खोखले ख़याल हैं जिनका न सर है न पैर जिनकी वजह से जिन्दगी का बहुत सा समय यूँ ही बीत रहा है। आपको उन खोखले ख़यालों से खुद को दूर करना होगा। जिस तरह टूटी हुई बाल्टी से कुँए से पानी नहीं निकल पाता, मन के उस छेद को बन्द करना होगा जो इस तरह के ख्यालों से तुम्हें बहलाता रहता है। किसी चमकते हुए सितारे की तरह पहले मन को रिक्त करो फिर देखो सूरज की रौशनी स्वतः तुम्हारे अंतर्मन को चमका देगी और आप आसपास के जीवन पर बहुत अच्छा असर छोड़ पाओगे। आपकी कही हुई हर बात तर्क संगत होगी। भौतिकता ने घेर रखा है आपके जीवन के हर पल को, हर एक पल तो इस मन की चिकित्सा नहीं कर पाओगे हर पल इसकी इच्छाओं को न ही पूरा कर पाओगे। इस मन के जाने कितने दरवाजे हैं कितनी खिड़कियां हैं किस किस को बन्द कर पाओगे, आज ये खड्डा भरोगे कल वो, आज औलाद का दुःख कल अपना दुःख परसों रिश्तों का दुःख। औलाद को ज्यादा सुख मिलते ही वह बागी हो जाएगी फिर एक नया दुःख फिर सोचोगे पहले की स्थिति इस स्थिति से अच्छी थी, चलो ऐसा नहीं होगा की वह बागी न होगी वह भटक तो सकती है उसे कोई व्यसन लग जाएगा उसका भी तो अपना मन है उसे ले जाएगा वह नशे की अंधेर नगरी में जहां से कोई होश में नहीं आता फिर कोई अपराध हो सकता है उससे। अब स्थिति पहले से बेहतर है पर जिस औलाद का सुख देखना चाहते थे वह तो खुद दुःख का कारण है। ज्यूँ चलाए मन त्यों त्यों चलते चले जा रहे हो। जाने क्या विचार आएँगे और उनके अनुसार किए कर्म व्यर्थ जाएंगे। अब इन विचारों को कैसे बन्द किया जाए इसके लिए मौन को धारण करो और देखो धीरे धीरे मन भी शांत होगा, ~पवन राज सिंह


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