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सोमवार, 1 फ़रवरी 2021

भावना और धारणा स्वयं सिद्ध हैं

 भावना और धारणा दो ऐसी चीजें हैं जिनसे आप कुछ भी प्राप्त कर सकते हो, ब्रह्माण्ड में ऐसा कुछ नहीं जो तुम्हारे पास नहीं होगा। उस आकाशवाणी को सिद्ध करने वाला ही कंस था उसकी भावना ऐसी थी की वह देवकी के आठवें पुत्र से मिलेगा ही मिलेगा। किसी शिष्य ने जो गुरु के निर्देश थे उन्हें धारण कर लिया वह एक दिन ऋषि बाल्मीकि की तरह परम् सिद्ध बना । आप ईर्ष्या करेंगे तो सब ईर्ष्या करेंगे आपकी भावना की प्रकृति आपके व्यक्तित्व का परिचय होगा। आपके अंदर कुटिलता होगी तो कोई आपसे व्यापार नहीं करेगा, क्योंकि किसी ठग के बताये गुर अपनाकर किसी साधुजन व्यापारी को आपने ठगा है तो आपका व्यापार बन्द है। आप प्रेम करेंगे तो प्रकृति आप पर पुष्प वर्षा करेगी सभी आपके प्रेमी होंगे । यह आपको सिद्ध करना है की आपकी भावना का घेरा कितना मजबूत है की साड़ी श्रुष्टी आपके इशारों पर दौड़ रही है। स्टोव में जब जब तक हवा नहीं भरती तेल नीचे ही तले में रहता है वह स्वयं ऊर्जा है पर उसे ज्वलन्तता के मुख तक लाने के लिए पम्प से हवा भरनी होती है, आप किसी भी इच्छा को मनाने के लिए उपाय करते हैं जैसे किसी बच्चे को इसलिए अच्छे नम्बर नहीं लाने होते की इससे मेरा कैरियर बढ़िया बनेगा वह अच्छे नम्बर इसलिए भी लाता है की अच्छे नम्बर लाने पर मुझे मोटरसाइकिल दिलाएंगे पापा। वहां उसने कर्म को धारण कर लिया और उसकी भावना यही है की उसे मोटरसाइकिल चाहिए जो उसके दोस्तों के पास एक वर्ष पूर्व ही आ गई है। वह अपनी ताकत झोंक देता है उसका पूरा फोकस है वहां पर.....करके देखिए ऐसा कुछ अद्भुत परिणाम प्राप्त होंगे आपको ~पवन राज राज सिंह


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