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शनिवार, 22 अक्टूबर 2022

कलाम 15

 जिसने जो बांटा ख़ुदा से वो ही अता हुआ

इश्क़ बांटा खूब हमने हमें इश्क़ अता हुआ


रहता है बनके फ़क़ीर बयाबाँ में वो अमीर

अपने निज़ाम के कदमों पर वो फ़ना हुआ


ज़र्रे से बना पत्थर पत्थर से फिर गौहर हुआ

पीरों के घर अतफ़ाल नहीं पीर ही पैदा हुआ


हस्ती मिटाये बगैर,   बढ़ती नहीं कीमत यहाँ

पीतल मिला जब कीमिया में तो सोना हुआ


गर्दिश में जिसकी लगे हुए हैं शम्स-ओ-कमर

काशी में सनमखाना तो मक्के में काबा हुआ


ज़न्नत-ओ-दोज़ख़ के चक्कर में न पडो अभी

जिस ने रखा ईमान को ताजा वो मुसलमाँ हुआ


हासिल हों करामातें कैसे ये राज' कोन कहे

करामातों का खज़ाना दरवेश का क़ासा हुआ

~पवन राज सिंह


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