इश्क़ में दीवानों का ये हाल देखा है
बेगानों को होते हम-ख़याल देखा है
दीदार-ए-यार में मिलता है वो लुत्फ़
हँसते हुए हर एक परेशान देखा है
समझ न आ सके अंदाज फकीरी के
की सख्त दौर को भी आसान देखा है
साक़ी तेरे मयखाने में वो शराब नहीं
यार के हाथों में वो ज़ाम देखा है
मस्तों के सर पे है जब हाथ यार का
ठीक होते हुए हर बीमार देखा है
राहे-इश्क़ के राज़ भी बड़े गहरे हैं
हर दिल में वो रोशन चराग़ देखा है
~पवन राज सिंह
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