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शनिवार, 22 अक्टूबर 2022

कलाम 13

 इश्क़ में दीवानों का ये हाल देखा है

बेगानों को होते हम-ख़याल देखा है


दीदार-ए-यार में मिलता है वो लुत्फ़

हँसते हुए हर एक परेशान देखा है


समझ न आ सके अंदाज फकीरी के

की सख्त दौर को भी आसान देखा है


साक़ी तेरे मयखाने में वो शराब नहीं

यार के हाथों में  वो ज़ाम देखा है


मस्तों के सर पे है जब हाथ यार का

ठीक होते हुए हर बीमार देखा है


राहे-इश्क़ के राज़ भी बड़े गहरे हैं

हर दिल में वो रोशन चराग़ देखा है

~पवन राज सिंह


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कलाम 19

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