Watch

शनिवार, 9 जनवरी 2021

ध्यान से दुरी या नजदीकी


 ध्यान से दुरी या नजदीकी:

क्या ध्यान के विमान पर बैठकर हम उड़ सकते हैं, अपनी असफलताओं को अपनी दुविधाओं को दूर कर सकते हैं। ध्यान क्या कोई राज-मार्ग है जो सामान्य सड़क से अलग है, जहाँ इस तरह की यातायात की उथल पुथल नहीं है। क्या इन वाहनों का कोलाहल नहीं है वहाँ, यही वे प्रश्न हैं जो चिर काल से सामान्य व्यक्ति अपने ध्यान से दुरी और नजदीकी के अंतर को खोजता रहता है। आइये कुछ ध्यान पर ध्यान दें
किसी भी योगिक सम्प्रदाय की विधियाँ या प्रक्रिया जिनसे सामान्य व्यक्ति एक सिद्ध पुरुष और फिर दिव्य पुरुष बनता है। यह एक सहज और सरल और नियमित प्रयास है जो बनते बनते बन जाता है। किसी से किसी ने कहा राम का नाम लो श्वास के साथ एक श्वास भी खाली न जाये, अभ्यासी ने कहा मुझसे तो राम कहा न जाएगा तो अनुभवी ने उससे कहा मरा तो कह सकते हो। अभ्यासी बड़ा प्रसन्न हुआ वह एक लुटेरा था राह चलतों को लूटना मारना उसका काम था उसके लिए मरा कहना सहज था। उसने उस अनुभवी की बात को बहुत सहजता से स्वीकारा वह एक सिद्ध पुरुष हुआ फिर दिव्यता प्राप्त हुई। आप जिस जाती धर्म संस्कार से जुड़े हैं आस पास जो भी सीख रहे हैं। उसे शने शने करते रहें श्वास के साथ जो भी आता जाता नाम है वह ही तुम्हें योगी बना देगा सारा सिद्धांत श्वासों के मध्य है। आँख बन्द करके करेंगे तो ध्यान होगा और गहरे में उतरेंगे तो समाधि पर इन सबसे पहले इनके बारे में सोचना बंद करना होगा बैठना होगा। मन (mood) के इंजन को बन्द नहीं कर सकते तो उसके गियर बॉक्स को न्यूट्रल करना होगा। जो कुछ सहजता से हो जाए वह करते रहिए। यहां हम आपको यह तक कह रहे हैं जो भी आप करेंगे जो भी आप सीख चुके हैं उसी में एकाग्र रहें। हम अपनी और से कुछ आप पर थोपना नहीं चाहते। बस प्रयासरत रहें

~पवन राज सिंह

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कलाम 19

 दर्द-ए-इश्क़ दिल को दुखाता है बहुत विसाल-ए-यार अब याद आता है बहुत ज़ब्त से काम ले अ' रिंद-ए-खराब अब मयखाने में दौर-ए-ज़ाम आता है बहुत साक़ी...