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शुक्रवार, 29 जनवरी 2021

हमारी प्रार्थना स्वीकार हो कैसे

 परेशान हैं सुनता ही नहीं परमेश्वर ये प्रश्न है ? हमारी प्रार्थना उस परमेश्वर तक कैसे नहीं जाती है, वो अपने श्रृंगार से रीझता है तो हम उसका श्रृंगार नित-प्रति करें,वो भोग से रीझता है तो हम उसको भोजन परोसें, वो सुंदरता से रीझता है तो उसके सामने सुंदर होकर खड़े हो जाएँ। किन्तु होता इसके बिलकुल विपरीत है धनी से पहले वह दरिद्र की सुनता है। भोजन को छोड़ वह भूखों के पास पहले पहुंचता है। फ़टे हालों के हाल जानने के लिए वह खुद फ़टे हाल उनसे मिलने जाता है। तो ऐसा क्या है दरिद्र निर्धन और फ़टेहालों के पास जो (उसको)परमेश्वर को आकर्षित करता है। श्रीकृष्ण की कहानी में कुब्जा और सुदामा ही क्यों उत्तम उदाहरण हैं। क्यों राम शबरी ही के बेर खाते हैं क्यों केवट को गले लगाते हैं। खोजिए कोनसी ट्रिक है....~पवन राज सिंह

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