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रविवार, 24 जनवरी 2021

कितने नासमझ हैं हम

 हमारी समझ ऐसी है जैसे मन्दिर में बजने वाली टनटन को बच्चा कुल्फ़ी वाले की टनटन समझ लेता है,  हमको इशारा कुछ और मिलता है और हम उसे समझते कुछ हैं हाँ माना इसमें परमेश्वर की माया हमें भ्रमित करती है पर यह जगत कल परसों तो नहीं बना मनुष्य को ये सब अनुभव भी है और जानकारी भी पर फिर भी मासूम सा समझदार मनुष्य बार बार हर बार सामने हो रहे इशारों को नहीं समझता। इशारा करने वाला कोई व्यसन से हमें मुक्ति दिलाने के लिए कुछ कहानी कह सकता है, कोई वैद्य गम्भीर रोग से मुक्ति दिलाने के लिए कड़वी दवा दे रहा है। यह हम टाल देंगे तो टाल दिए जाएंगे। अपने आस-पास दैनिक जीवन में हो रहे इशारों को देखिये सृष्टि हमें इशारों में कुछ कह रही है.....कितने नासमझ हैं हम

~पवन राज सिंह

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