आवाज की कहानियाँ भी बड़ी अजीब होती हैं, कई कहानियाँ आवाज़ की कानों में सुनाई पड़ती हैं, कई कहानियाँ ऐसी होती हैं जिनके बोझ तले जहन बेचारा दबा रहता है। कुछ कहानियाँ दिल ही में पलती हैं दिल ही में बड़ी होती हैं और मर भी जाती हैं, कभी कभी दिल में कोई ज्वार भाटा उफान मारता है तड़प के चाँद के इशारों पर तब जाकर कोई एक कहानी जिंदगी के किनारे आ लगती है। सभी लोगों के साथ अक्सर ऐसा होता है कुछ लोग इसे अपनी मेहनत से पा लेते हैं कुछ ऐसे होते हैं जिन्हें किसी का सहारा मिल जाता है। कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें न मेहनत आती है न सहारा ही मिलता ऐसे लोगों की दबी-कुचली सी कहानियों का बोझ वो अपने जहन के माथे पर डाल देते हैं। फिर भी आवाजें आवाजें हैं कानों से हों पिछले जमाने से हों या जहन के काँधों पे लदी हों। उन सभी आवाजों की कहानियों को नकारो नहीं उनको पूरा होने या न होने की जो ख़ास वजहें उन्हें तलाशो और अपने आप से वादा करो की अब कोई कहानी मेरी जिंदगी के किनारे आ लगेगी तो उसे अंजाम तक पहुँचना मेरा फ़र्ज़ है।
~पवन राज सिंह
~पवन राज सिंह
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