शिव शंकर भक्तों के लिए उपयोगी साधना मन्त्र इस प्रकार हैं ।
प्रथम बिंदु
यह इस प्रकार है (वन्दे बोधमयं नित्यं गुरु, शंकर रूपिणम, यमाश्रितो हि वक्रोपि, चन्द्रः सर्वत्र वन्द्यते)
इस श्लोक में भगवान शंकर को गुरु रूप में प्रणाम करके उनकी महिमा बताई है। पूजा उपासना करने के पहले इस को पढ़ लेना चाहिए ताकि पूजा का पूरा फल मिले। अगर पूजा में कोई समस्या आ जाय तो शिव कृपा से वह समाप्त हो जाती है।
द्वितीय बिंदु
यह इस प्रकार है (महामंत्र जोई जपत महेसू , कासी मुकुति हेतु उपदेसू )
जब भी मंत्र जाप करना या सिद्ध करना चाहते हैं तो उसके पहले इसे पढना चाहिए। भगवान शंकर की कृपा से तुरंत ही मंत्र सिद्ध भी होता है और प्रभावशाली/लाभप्रद भी है।
तृतीय बिंदु
यह इस प्रकार है (संभु सहज समरथ भगवाना , एही बिबाह सब विधि कल्याणा)
संतान के विवाह जीवन में समस्या आये तो इस दोहे का प्रभाव अचूक होता है। प्रतिदिन सुबह भगवान शंकर के समक्ष इसे १०८ बार जाप करें , फिर अपनी सन्तान-पुत्र/पुत्री के सुखद वैवाहिक जीवन की प्रार्थना कर लीजिए।
चतुर्थ बिंदु
यह इस प्रकार है कि (जो तप करे कुमारी तुम्हारी , भावी मेटी सकही त्रिपुरारी )
यदि जीवन में ग्रहों या प्रारब्ध के कारण कुछ भी न हो पा रहा हो तो यह दोहा अत्यधिक लाभप्रद-फलदायी है। इसे चारों वेला कम से कम १०८ बार पढने से किस्मत या भाग्य का योग बदल सकता है, कोई भी कामना उचित न हो वह न करें।
पंचम बिंदु
यह इस प्रकार है (तव सिव ती'सर नयन उघारा, चितवत कामु भयऊ जरि छारा)
यदि मन भटकता है एवं चंचल हो तो यह दोहा फायदा पहुचाने वाला है। काम-काज चिंतन/मनन और काम भाव से परेशान हों उनके लिए यह अधिक प्रभावशाली रहेगा
षष्ठम बिंदु
यह इस प्रकार है (पाणिग्रहण जब कीन्ह महेसा, हिय हरसे तब सकल सुरेसा,, वेद मंत्र मुनिवर उच्चरहीं, जय जय जय संकर सुर करहीं )
यदि विवाह में बाधा आ रही हो तो इस दोहे का जाप अत्यंत लाभदायक है।
सुबह सुबह शंकर-पार्वती जी के सामने इसका जाप करने से शीघ्र और सुखद विवाह होता है.
सप्तम बिंदु
यह इस प्रकार है (बिस्वनाथ मम नाथ पुरारी, त्रिभुवन महिमा विदित तुम्हारी)
यदि कोई आर्थिक समस्या ज्यादा हो या धंधा-रोजगार की समस्या आये तो इस दोहे का जाप करते रहना उचित होगा।
सुबह एवं रात की अवधि में भगवान शंकर के सामने कम से कम १०८ बार इसका जाप करते रहना चाहिए
प्रथम बिंदु
यह इस प्रकार है (वन्दे बोधमयं नित्यं गुरु, शंकर रूपिणम, यमाश्रितो हि वक्रोपि, चन्द्रः सर्वत्र वन्द्यते)
इस श्लोक में भगवान शंकर को गुरु रूप में प्रणाम करके उनकी महिमा बताई है। पूजा उपासना करने के पहले इस को पढ़ लेना चाहिए ताकि पूजा का पूरा फल मिले। अगर पूजा में कोई समस्या आ जाय तो शिव कृपा से वह समाप्त हो जाती है।
द्वितीय बिंदु
यह इस प्रकार है (महामंत्र जोई जपत महेसू , कासी मुकुति हेतु उपदेसू )
जब भी मंत्र जाप करना या सिद्ध करना चाहते हैं तो उसके पहले इसे पढना चाहिए। भगवान शंकर की कृपा से तुरंत ही मंत्र सिद्ध भी होता है और प्रभावशाली/लाभप्रद भी है।
तृतीय बिंदु
यह इस प्रकार है (संभु सहज समरथ भगवाना , एही बिबाह सब विधि कल्याणा)
संतान के विवाह जीवन में समस्या आये तो इस दोहे का प्रभाव अचूक होता है। प्रतिदिन सुबह भगवान शंकर के समक्ष इसे १०८ बार जाप करें , फिर अपनी सन्तान-पुत्र/पुत्री के सुखद वैवाहिक जीवन की प्रार्थना कर लीजिए।
चतुर्थ बिंदु
यह इस प्रकार है कि (जो तप करे कुमारी तुम्हारी , भावी मेटी सकही त्रिपुरारी )
यदि जीवन में ग्रहों या प्रारब्ध के कारण कुछ भी न हो पा रहा हो तो यह दोहा अत्यधिक लाभप्रद-फलदायी है। इसे चारों वेला कम से कम १०८ बार पढने से किस्मत या भाग्य का योग बदल सकता है, कोई भी कामना उचित न हो वह न करें।
पंचम बिंदु
यह इस प्रकार है (तव सिव ती'सर नयन उघारा, चितवत कामु भयऊ जरि छारा)
यदि मन भटकता है एवं चंचल हो तो यह दोहा फायदा पहुचाने वाला है। काम-काज चिंतन/मनन और काम भाव से परेशान हों उनके लिए यह अधिक प्रभावशाली रहेगा
षष्ठम बिंदु
यह इस प्रकार है (पाणिग्रहण जब कीन्ह महेसा, हिय हरसे तब सकल सुरेसा,, वेद मंत्र मुनिवर उच्चरहीं, जय जय जय संकर सुर करहीं )
यदि विवाह में बाधा आ रही हो तो इस दोहे का जाप अत्यंत लाभदायक है।
सुबह सुबह शंकर-पार्वती जी के सामने इसका जाप करने से शीघ्र और सुखद विवाह होता है.
सप्तम बिंदु
यह इस प्रकार है (बिस्वनाथ मम नाथ पुरारी, त्रिभुवन महिमा विदित तुम्हारी)
यदि कोई आर्थिक समस्या ज्यादा हो या धंधा-रोजगार की समस्या आये तो इस दोहे का जाप करते रहना उचित होगा।
सुबह एवं रात की अवधि में भगवान शंकर के सामने कम से कम १०८ बार इसका जाप करते रहना चाहिए
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें