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गुरुवार, 21 नवंबर 2019

शारीरिक परेशानियाँ त्रिदोष सिद्धान्त

आयुर्वेद में ‘त्रिदोष सिद्धान्त’ की विस्तृत व्याख्या हैं, वात्त,पित्त और कफ के शरीर में बढ़ जाने या प्रकुपित होने पर उनको
शांत करने के उपायों का विस्तृत वर्णन हैं। आहार के प्रत्येक द्रव्य के गुण-दोष का सूक्ष्म विश्लेषण हैं, ऋतुचर्या-दिनचर्या आदि के माध्यम में स्वास्थ्य-रक्षक उपायों का सुन्दर विवेचन हैं तथा रोगों से बचने के  व् रोगों की चिरस्थायी चिकित्सा के लिए पथ्य-अपथ्य पालन के उचित मार्ग दर्शन हैं। आयुर्वेद में परहेज-पालन के महत्व को आजकल आधुनिक डाक्टर भी समझने लग गए हैं, और आवश्यक परहेज-पालन पर जोर देने लग गए हैं।

वात, पित्त एवं कफ रोग लक्षण

पित्त रोग लक्षण

पेट फूलना,पेट दर्द, दस्त मरोड, गैस, खट्टी डकारें, ऐसीडिटी, अल्सर, पेशाब जलन, रूक रूक कर बूँद बूँद बार बार पेशाब,
पत्थरी, शीघ्र पतन, स्वप्न्न दोष, लार जैसी धात गिरना, शुक्राणु की कमी, बांझपन, खून जाना, ल्यूकोरिया, गर्भाशय ओवरी में छाले, अण्ड कोष बढ़ना, एलर्जी खुजली शरीर में दाने शीत निकलना कैसा भी सरदर्द मधुमेह से उतपन्न शीघ्रपतन कमजोरी, इन्सुलिन की कमी, पीलिया, खुन की कमी बवासीर,सफेद दाग, माहवारी कम ज्यादा आदि।


वात रोग लक्षण

अस्सी प्रकार के वात, सात प्रकार के बुखार, घुटना कमर जोड़ो में दर्द, सन्धिवात सर्वाइकल स्पोन्डिलायटिस, लकवा, गठिया, हाथ पैर शरीर कांपना, पूरे शरीर मव सूजन कहीं भी दबाने से  गड्ढा हो जाना, लिंग दोष, नामर्दी, बुढापे की कमजोरी, मिर्गी चक्कर, एकांत में रहना।

कफ रोग लक्षण

बार बार सर्दी लगना, खांसी, छींके आना, एलर्जी, नजला, टी०बी०, सीने में दर्द, घबराहट, मृत्यु भय, सांस फूलना, गले में गाँठ, टॉन्सिल, कैसर के लक्षण, थायराइड, ब्लड प्रैशर, बिस्तर में पेशाब करना, शरीर से मुंह से बदबू, चेहरे का कालापन, कान बहना,  शरीर फूल जाना, किडनी लिवर दर्द सूजन, मोटापा, जाघों का आपस में नजदीक आना, गर्भ नली का चोक हो जाना, कमजोर अण्डाणु आदि।

इस तरह के त्रिदोष रोगों के लक्षण हैं

जिनमे व्यक्ति ब्लड प्रेशर, कब्ज़, खुनी-बेखुनी-बवासीर, डायबिटीज़, नामर्द, मोटापा आदि बीमारियों अक्सर परेशान रहते हैं इन सभी परेशानियों के लिए या कोई और परेशानी के लिए मेरे इस नम्बर पर व्हाट्सएप्प से सम्पर्क करें whatsapp 9928255032 पवन राज सिंह

~पवन राज सिंह





















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