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गुरुवार, 9 जुलाई 2020

बंदे ख़ुदा को प्यारे हैं


हज़ार रंजो-मुसीबत के दिन गुजारे हैं
कभी जो लड़ गई किस्मत तो वारे-न्यारे हैं

ख़ुदा की शाने-करीमी को पूछना क्या है
गज़ब तो ये है, गुनहगार हम तुम्हारे हैं

बुरा न जान, हसीनों को मान, ऐ वाइज़
ख़ुदा गवाह, ये बन्दे, ख़ुदा को प्यारे हैं

तुम्हारी *चश्मे-फसूंसाज़ से नहीं शिकवा
हमें है खूब खबर जिनके ये इशारे हैं

वफ़ा करो कि जफ़ा एख्तियार है तुमको
बुरे हैं या भले हैं जैसे हैं तुम्हारे हैं

खुलेन बाबे-इबादत तो क्या करे कोई
बहुत दुआ ने पुकारा है, हाथ मारे हैैं

बहकती-फिरती हैं आहें, तबाह हैं नाले
रफीक दिल के सहारे से बेसहारे हैं

जमीं पे रश्के-महो-महर हैं हसीं लाखों
फ़लक में दो ही तो चमके हुए सितारे हैं

वो ^तुन्द-खूँ हैं तो हों, 'दाग' कुछ नहीं परवाह
मिजाज बिगड़े हुए सैकड़ों संवारे हैं
~दाग देहलवी
*जादुई आँखें ^बिगड़े स्वभाव वाला

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