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शनिवार, 4 जुलाई 2020

दाग कहां रहता है

दिल में रहता है जो आँखों में निहां रहता है
पूछते फिरते हैं वो ~दाग~ कहां रहता है

कौन सा चाहने वाला है तुम्हारा ममनून
सर तो रहता नहीं  एहसान कहां रहता है

वो कड़ी बात से लेते हैं जो चुटकी दिल में
पहरों उनके लबे-नाजुक पे निशां रहता है

मैं बुरा हूँ तो बुरा जान के मिलिए मुझसे
एब को एब समझिए तो कहां रहता है

खाना-ए-दिल में तकल्लुफ भी रहे थोडा सा
कि तेरा दाग तेरा दर्द यहां रहता है

लामकां तक की खबर हजरते वाइज ने कही
ये (यह) तो फरमाइए कि अल्लाह कहां रहता है

अपने कूचे में नई राह निकाल अपने लिए
कि यहां मजमा-ए-आफतजदगां रहता है

ज़ख्म आएं तो सभी ख़ुश्क हुआ करते हैं
~दाग~ मिटता ही नहीं इसका निशां रहता है

~दाग देहलवी

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