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सोमवार, 30 मार्च 2020

उम्मीद बाकी है.....

मायूस हैं पर इक उम्मीद भी है
हैं उजाले कहीं गुम इस अँधेरे में

होकर रहेगी सुबह कुछ वक्त और
कुछ और वक्त का इन्तजार है

हमें और न सता सकेगा ये मंजर
हम उठ खड़े होंगे अपने पाँव पर

हमें उम्मीद है हमारे रहनुमा पर
हमें उम्मीद है हमारे तबीबों पर

ये रुत है खिज़ाँ की जाएगी जरूर
मौसम बहारों के फिर से आएंगे

खिलेंगे गुल बागों में फिर से.....
महकेगी चमन की हर इक गली

भँवरे फिर से गुनगुनाएँगे......
कोयल कूकेगी, पंछी फिर चहकेंगे

आज हारे हुए से हैं हम इससे....
कल इस अज़ाब से जीत जाएंगे

उम्मीद रखो उम्मीद पे ही यारों
उम्मीद पर ही दुनिया कायम है

होंसला कम न होने पाये अपना
कहीं कोई मायूस न होने पाये

मायूस हैं पर इक उम्मीद बाकी है
उम्मीद बाकी है
उम्मीद बाकी है.......जीत जाएंगे
~पवन राज सिंह

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