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बुधवार, 4 दिसंबर 2019

नया फ़लसफ़ा

कल मुझे जब सीने पे गोलियां लग जाएंगी,
तुम अपने बिस्तर रहोगे और खबर छप जायेगी।

ये जिंदगी तो आनी जानी है अ' मेरे हमवतन,
जो भी सिकन्दर है कहानी उसकी बन जाएगी।

जाने कितने चमन में खिलेंगे और गुल,
फूल तो बस है वही खुश्बू जिसकी उड़ जाएगी।

हम रहें या ना रहें अ' दोस्तों फिर जमाने में,
निशानी हमारी हमेशा के लिए रह जाएगी।

जाने को जाना है इक रोज जमाने से सभी को,
जाने की अदा ही अपनी दास्ताँ कह जायेगी।

हम समन्दर ना सही पर ए दोस्त सुन रख ये भी
हमसी लहरों में समन्दर की रवानी रह जाएगी।
~पवन राज सिंह

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